Saturday 16 August 2014

Krsihna Janmashtmi





कृष्णा फिर से धरती पे आओ
फिर से पुरूषों मे अर्जुन ,अभिमन्यु
माताओं मे देवकी, यशोदा
युवतिओं मे मीरा, राधा जगाओ

धर्म का तुमने जो पाठ पढ़ाया था
जिसको समझाने  के लिए महाभारत रचाया था
उस धर्म के अब मायने बदल गए हैं
रिवाज़ों को धर्म मान लोग अब मरने मारने पर  उतर गए हैं
धर्म तो मंदिरो और कथाओं मे सिमित है
जीने की शैली तो शकुनि की  सोच से निर्मित है

दुह्शाशन के हौसले बुलंद हैं
वो समझता है कृष्णा की  तो आँखें बंद हैं
द्रौपदी का विश्वास भी डगमगा रहा है
अस्त्र उठा लो अब श्याम ना आएंगे हर कोई उसे यही समझा रहा है

कहा था तुमने जब जब अधर्म बढ़ेगा
धर्म की स्थापना के लिए तुम आओगे
मुझे यकीन है तुम अपना वादा निभाओगे
हम भटके हुए लोगों को फिर से राह दिखाओगे

अपने भक्तों के इस भरोसे को सही ठहराओ
हे कृष्णा फिर से धरती पे आओ
पुरुषों मे अर्जुन अभिमन्यु
युवतियों मे मीरा राधा जगाओ 





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